

मुंबई। 1983 की ‘हिम्मतवाला’ जैसी साधारण फिल्म का रीमेक बनाने के लिए सचमुच बड़े जिगर की ज़रूरत है। डायरेक्टर साजिद खान की ये रीमेक खूब सारे मेलोड्रामा से भरपूर है, ये बकवास ह्यूमर, बचकाने एक्शन और आम से गानों के साथ ढाई घंटे तक चलती है बिना इस बात की परवाह किए कि इसका आपके दिमाग पर क्या असर हो सकता है। इस नयी ‘हिम्मतवाला’ में काफी सारी ऐसी गलतियां हैं जो पिछली फिल्म में भी थीं, और कुछ ऐसी भी हैं जो इस फिल्म की खुद की है। सबसे बड़ी प्रॉब्लम है की ये फिल्म ये तय नहीं कर पाती कि वो आखिर है क्या। एक ईमानदार रीमेक ,80 की ‘मद्रास पोटोबॉयलर्स’ का अंदाज़, या फिर उस विधा की नकल।
अजय देवगन, रवि के किरदार में है जो अपने गांव लौटता है उस आदमी से बदला लेने जिसने उसके परिवार को बरबाद कर दिया था और वो आदमी है शेर सिंह यानि महेश मांजरेकर जो अत्याचार करने वाला, ज़मीन हड़पने वाला गांव का सरपंच है। जिसने गांववालों के दिलों में डर पैदा कर के रखा है। सच पूछा जाए तो साजिद खान यहां ज्यादा डायरेक्ट नहीं करते क्यूंकि वो आपके सेंसेज पर वार करते है कुछ हद से ज्यादा थका देने वाले क्लीशे के साथ जिसे देखे हुए ज़माना हो गया है। हीरो की विधवा मां जो हर बार अपने बेटे को ‘मां की कसम’ में बांध लेती है। उसकी बेचारी बहन जो सिर्फ विलेन के गुंडों द्वारा रेप किए जाने या ससुराल वालों का अत्याचार सहने के लिए इस फिल्म में है, विलेन की बिगड़ी हुई पर साफ़ दिल बेटी जो अपने पिता की मर्ज़ी के खिलाफ हीरो से प्यार कर बैठती है।, यहां तक की वो पुराना दुश्मन जो ऐन मौके पर हीरो की मदद करने आता है जिसकी जिंदगी उसने बचायी थी।वैसे ये किरदार इस फिल्म में एक शेर निभाता है। हिम्मतवाला एक बदले की कहानी से ज्यादा कॉमेडी लगती है, फिर भले ही उसका ह्यूमर सड़कछाप ही क्यों ना लगे। शेर सिंह की बेटी के किरदार में तेलुगु स्टार तमन्ना को गरीबों से नफरत है। शेर सिंह के साले के किरदार में परेश रावल हमेशा कोई न कोई कटाक्ष करने को तैयार रहते हैं। शुरूवात से लेकर अंत तक एक्शन सींस से भरपूर और ऐसे गाने जो जीतेन्द्र और श्रीदेवी की मटका झटका के सामने फीके लगते हैं, हिम्मतवाला एक बहुत ही बोरिंग फिल्म है। ये इतनी बोरिंग है कि रोहित शेट्टी की फिल्में इनके सामने कही ज्यादा अच्छी लगती हैं।कुछ बकवास एक्टिंग के बीच वो अजय देवगन ही है जो पूरी तरह से खुद को शर्मसार होने से बचा लेते हैं। वो गुंडों के साथ अच्छी मारधाड़ करते हैं और फिल्म की कुछ बचकानी लाइंस कैरी कर जाते है। पर एक ऐसे मझे हुए एक्टर को इस किस्म की बकवास फिल्म में देखना बेहद शर्मनाक है। मैं साजिद खान की को पांच में से एक स्टार देता हूं। फिल्म की शुरूवात होती है सोनाक्षी सिन्हा के डिस्को सॉन्ग से ‘थैंक गॉड इट्स फ्राइडे’ यकीन मानिए ये फ्राइडे नहीं।